जिगर की समस्यायें

जिगर की समस्याओं के कारण और निवारण
यकृत हमारे षरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिगर पेट के ऊपरी भाग में स्थित है। ये अंग षरीर में लगभग 500 काम करता है। हमारे षरीर की अधिकतर समस्यायें पेट की खराबी के कारण उत्पन्न होती है। जिगर की खराबी पूरे षरीर मंे समस्या उत्पन्न करती है। जिगर हमारे षरीर का सबसे ठोस हिस्सा है। जिगर प्रोटीन के उत्पादन और कोलेस्ट्रोल ग्लूुकोज़ और लोहे के चपापचय और कई षारीरिक कार्यो मे एक महत्वर्पूण भूमिका निभाता है।जिगर पित्त रस स्त्रावित करता हैं, इसलिए ये एक ग्रन्थि मानी जाती है। जिगर की दो मुख्य पालियाँ होती है। जिगर की कोषिकाओं में रक्त की आपूर्ति के लिये दो अलग अलग स्त्रोत होते है।

जिगर के मुख्य कार्य षरीर में लोहंे को विनियमित करके रक्त के थक्के को जमाने में मदद करता है, पाचन और ग्लूकोज़ नियमन में मदद करता है, जो पित्त के उत्पादन, अमिनो एसिड के उत्पादन, कोलेस्ट्रोल उत्पादन और षरीर के कचरे को यूरिया में बदलने में मदद करता है। हेपेटाईटिस, षराबी फैटी एसिड, जिगर के कैंसर जिगर की आम बीमारी है। पोर्टल षिरा आंत और तिल्ली से पोशक की आर्पूति करता है, जबकि दिल धमनी आॅक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करता हैं। क्षतिग्रस्त यकृत ठीक से प्रोटीन संसाधित नही कर रहें है। यकृत अपषिश्ट उत्पादों का निर्माण करता हैं, और मस्तिश्क को प्रभावित करता है। जिगर मे क्षति होने पर षरीर में कइ्र लक्षण एक साथ दिखने लगते है।

पित्त प्रवाह में रूकावट के कारण जिगर की समस्यायें उत्पन्न होती है। हेपेटाईटिस वायरस जिगर की बीमारी का कारण बनता है। हैपेटाईटिस ए,बी,सी,डी और ई जिगर के लिये बहुत हानिकारक होता है। जिगर की अधिकतर समस्यायें इंसान की गन्दी आदतों के कारण होती हैः जैसे-धूम्रपान, षराब के आदि के कारण होते हैं। षराब जिगर के लिए बहुत विशैली होती है, और जिगर की सूजन का कारण बनता है। जिगर डैमेज के बारे में डाॅक्टरों के परीक्षण के बाद में कुछ लक्षण बतायें हैं।
आहार और जिगर की बीमारी: एक अच्छा संतुलित आहार षरीर की ताकत को बनायें रखने और एक स्वस्थ वज़न में मदद करता है। उचित पोशण कार्य करने के लिए जिगर और सर्मथन करने में मदद करता है। जिगर आपके स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

(1) पीला पड़नाः जिगर में कोई भी होने में वाली समस्या से पूरे षरीर में पीलापन आ जाता है। त्वचा, नाखून, और आँखों में पीलापन आ जाता है, और पेषाब भी पीला हो जाता है। ये समस्या षरीर में उच्च बाईल के कारण होता है। अगर जिगर सही ढंग से काम नही करता है, तो ये बाईल की अधिकता के होता है। जिगर की खराबी के कारण पीलिया भी हो जाता है।

(2) उल्टी आनाः जिगर खराब होने के कारण इंसान को हर समय घबराहट महसूस होती है, और उल्टी आती रहती है। जब षरीर में बाईल की मात्रा बढ़ जाती है, तो उल्टियाँ आती है। ये एक गंभीर समस्या है, इसमें देर नही करना है।
पेट में सूजन आनाः जिगर खराब होने पर पेट में सूजन बढ़ने लगती है, और वह मोटा दिखाई इेने लगता है। इस मोटापे और भारीपन से पेट में बहुत परेषानी से होता है। इस समस्या को गैस समझकर नही छोड़ना चाहियें, ये गंभीर स्थिति होती है।

(4) नींद आनाः जिगर की खराबी में व्यक्ति हमेंषा आलस्य का अनुभव करता है, उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लगता हैं, और जिसके कारण व्यक्ति को नींद आती है। ज़्यादा आलसपन आना और ज़्यादा पेट का दर्द सामान्य नही होता है, कृपया अपनी इस स्थिति पर ध्यान अवष्य दें।

(5) मानसिक तनावः जिगर खराब होने पर षरीर में हा समस्यायें नही होती है, हमारे मस्तिश्क पर भी इसका असर होता है, और मानसिक समस्यायें उत्पन्न होती है। जिगर की खराबी का मस्तिश्क पर भी प्रभाव पड़ता है, और पूर्ण रूप से कार्य नही करता है। मस्तिश्क कोई प्रतिक्रिया नही करता है, इंसान हमेषा दुविधा में रहता है, वो ठीक तरह से कोई भी र्निणय नही ले पाता है। अगर आपमंे ये लक्षण मौजूद हों तो आप समझ लें कि आपके जिगर में कुछ ठीक नही है।

(6) कोमाः आपको यह जानकर बहुत आष्चर्य होगा कि जिगर की समस्यायें होने पर व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है, ऐसी स्थिति में ध्यान अवष्य दें। जिगर को कोई भी नुकसान षारीरिक को नुकसान का कारण बनता है।
जिगर की बीमारी के लिए उपचारः अचानक पेट में दर्द, पीलिया, बुखार, उल्टी जैसे लक्षणों को अनदेखा नही करना चाहियेें, और रोगी को तत्काल चिकित्सा लेनी चाहियें। जिगर के रोगी को आरम्भ से ध्यान देना चाहियें, क्योकि आगे चलकर ये समस्या गंभीर रूप धारण लेती है। जिगर के रोगियों के लिए दवायें बनायी गयी है, जो जिगर के ऊतको पुर्नजीवित करनें में मदद करती है। जो आरम्भ में ही रोग को समाप्त करने में मदद करती है। जिगर की बीमारी को अनदेखा नही करना चाहिये है, क्योकि जिगर की बीमारी भी मौत का कारण बन जाती है।

जिगर की बीमारी के लियें आहारः जिगर के रोगी के लिये उसके आहार पर निष्चित तौर पर ध्यान देना चाहियें। जिगर के रोगी के आहार में अनिवार्य रूप से जटिल जटिल कार्बोहाईड्रेट से समृद्ध होना चाहियें। ऐसे रोगी को प्रोटीन युक्त भोजन देना चाहियें, सोडियम की मात्रा कम होना चाहियें। आहार में विटामिन बी भरपूर मात्रा में होना चाहियें। नाष्ते में दूध, अनाज, और एक नारंगी का सेपन करें। खाने में पकी सब्जियाँ गोभी, टमाटर, सेम, चुकन्दर, बा्रउन चावल, सलाद का इस्तेमाल करें, लहसुन जिगर की बीमारी के लिए एक बहुत लाभकारी हैं। गाजर का रस, पालक का रस, और ककड़ी का रस रात के खाने में सलाद रोटी टोस्ट, मछली ले सकते है। हल्का भोजन लेना चाहियें। तेल मसाले के खा़़़द्य ज़्यादा सेवन नही करना चाहियें।

जिगर की बीमारी के लिए सुझावः जिगर की बीमारी को सही जीवन षैली और आहार का पालन करके रोका जा सकता है। हेपेटाईटिस ए, और बी से बचाने के लिए टीके लगवायें। वज़न पर नियंत्रण रखें, धूम्रपान, षराब और मादक पदार्थोंं नियमित रूप से व्यायाम नियमित रूप से करें। जिगर की बीमारियों की जानकारी में वद्धि करना चाहियें। एक जिगर की बीमारी के लिए लगातार दवाइ्र्रयों का सेवन नही किया जाना चाहियें। उदाहरण के लिए एसिटामिनोफेनन और टायलेनोल की ज़्यादा मात्रा जिगर की विफलता का कारण बनता है।

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