मधुमेह

मधुमेह या डायबिटीज़ सालो में होने वाला खतरनाक जीवनषैली रोग है। हर साल कई हज़ार लोग इससे प्रभावित होते है। संसार भर में मधुमेह के रोगियों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ती है। मधुमेह को षुगर की बीमारी भी कहते है। यह एक गंभीर बीमारी है, इसे धीमी मौत (साईलेंट किलर) भी कहते है। इस बीमारी में रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है, और रक्त की कोषिकायें इस षर्करा का उपयोग नही कर पाती है। अगर ये रक्त का बढ़ा हुआ स्तर खून में लगातार बना रहता है, तो षरीर के बहुत से अंगों को इसका नुकसान पहूँचता है।

किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवष्यकता होती है, और इस ऊर्जा की पूर्ति ग्लूकोज़ से होती है। खून में ग्लूकोज़ इन्सूलिन नामक हार्मोन के द्वारा कोषिकाओं में जाकर षरीर को ऊर्जा देता है। भोजन षरीर में जाकर ग्लूकोज़ परिवर्तित हो जाता है, और ग्लूकोज़ रक्त में मिल जाता है। मधमंेह चयापचय विकार है। रक्त में ग्लूकोज़ की बढ़ी हुई मात्रा का सही वक्त पर उपचार नही किया गया तो तो षरीर के बहुत से अंगों को इसका नुकसान पहुँचता है।

मधुमेह के प्रकारः इसके दो प्रकार होते हैै। मधुमेह और षरीर के उपस्थित इन्सुलिन का सही ढंग से काम नही कर पाना। मधुमेह जिसके कारण ग्लूकोज़ कोषिकाओं मंे नही जाता है, और कोषिकाओं में उसकी मात्रा बढ़ जाती है।
(1) इसमें षरीर की ष्वेत कोषिकायें अग्नाष्य के इन्सुलिन बनाने वाली कोषिकाओं को खत्म कर देती है।
(2) मधुमेह में षरीर में उत्पादित इन्सुलिन का सही प्रयोग ग्लूकोज़ का सही प्रयोग नही हो पाता है। षरीर मे इंसुलिन की अतिरिक्त मात्रा के कारण अग्नाष्य इंसुलिन नही बनाता है।

मधुमेह के कारण

(1) गलत खान पान और गलत आदतें जैसे- चाय दूध आदि में चीनी का ज़्यादा सेवन, कोल्ड ड्रिंग्स अधिक पीना, षारीरिक परिश्रम न करना, मोटापा, तनाव, धूम्रपान और अनुवांषिकता आदि मधुमेह के कारण होतें है।

(2) भूख, प्यास का बार बार लगना, पेषाब बार बार आना, बिना किसी काम के थकान का हो जाना, षरीर में कही घाव होने पर जल्दी ठीक न होना त्वचा में बार बार इंफेक्षन का होना।
यह मधुमेह कंे लक्षण है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तों तुरन्त मध्ुामेंह की जाँच अवष्य करायें। यह जाँच ज़्यादा महगीं नही होती है, और आसानी से किसी भी प्रयोगषाला में आसानी से हो जाती है।
मधुमेह का उपचारः मधुमेह को कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातो पर विषेश ध्यान देने की आवष्यकता है।

(1) चीनी एंव अन्य मीठे पदार्थांे का सेवन कम करें मीठे फलों का सेवन कम या बिलकुल भी न करें। हरी सब्जि़यों का अधिक सेवन करें, भूसी युक्त आटे का सेवन करें गेहूँ, जौ, और चनें के आटे का सेवन करें, मधुमेह के रोगी मिस्सी के आटे की रोटी का सेवन करें। ज़्यादा तले भुने खाद्य पदार्थो का सेवन बंद करे। एक बार में ज़्यादा सा भोजन ना करें बल्कि थोड़े थोड़े अन्तराल में भोजन को थोड़ा खायें।

(2) नित्य व्यायाम करें, नियमित रूप से योगा करे, और सुबह षाम टहल लगाये, इन कार्यो से षुगर कंट्रोल में रहती है, और मोटापे को कम करता है, जो कि मधुमेह का कारण है।

(3) मधुमेह में तनाव की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, इसलिए तनाव से बचने की कोषिष करें।

(4) आयुर्वेद में कुछ जड़ी बूटियों का मधुमेह के लिए प्राचीन काल से ही चिकित्सा क्षेत्र में प्रयोग किया जा रहा है, और आध्ुानिक चिकित्सा विज्ञान ने भी इन जड़ी बूटियों को लाभकारी बताया है, जैसे- मेथी दाना, जामुन, करेला, विजयसार और गुड़मार बहुत लाभकारी है।

(5) मधुमेह में ग्रीन टी का सेवन करें, क्योकि ग्रीन टी में एंटीआॅक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है, जो षरीर को स्वस्थ रखनें में मददगार है।

(6) मधुमेह के रोगी की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, और एक छोटा सा इंफेक्षन भी मधुमेह के रोगी के षरीर पर कब्ज़ा करने में कामयाब हो जाते है।

यदि मधुमेह रोग का समय पर पता ना चले या पता चलने पर भी खान पान और दैनिक जीवन में लापरवाही की जाये और समुचित चिकित्सा ना की जाये तो रक्त में सामान्य से बढ़ी हुई षुगर षरीर के अंगों को नुकसान पहुँचाता है।

यदि उपरोक्त लक्षणों में से आप में कुछ लक्षण दिखाई दे रहें है, तो विषेश रूप से संभावित लक्षणों को राकने में मदद करने के लिए हमारी अमरिया फार्मेसी ने मधुमेह के लिए उत्पादो का उत्पादन किया है, जो मधुमेह को रोकने मे मदद करती है। आज मधुमेह जैसी बीमारियाँ बहुत आम हो गई है, आज मधुमेह के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका इलाज जड़ी बूटियों और प्राकृतिक चिकित्सा में उपलब्ध हैं। प्राकृतिक चिकित्सा बिलकुल सुरक्षित होती है, इसीलिए मध्ुामेह के इलाज के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेना बिल्कुल उचित है।