खाँसी के घरेलू उपचार

खाँसी क्या है?
खाँसी एक रोग है, जो गले में होता है। ये रोग संक्रमण के कारण होता है। ये श्वसन संक्रमण का लक्षण है। जब कभी श्वास लेने के दौरान कुछ बैक्टीरिया श्वास नली में पहुँच जाते हैं, तब हमारे शरीर की श्वेत रक्त कणिकायें इन हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने के लिए जेलीनुमा तत्व बनाती हैं। इसे खाँसी कहा जाता है। ये खाँसी की बीमारी किसी को भी और किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। लेकिन अधिकतर इस बीमारी को कम उम्र के लोगों और व्यस्कों में देखा जाता है। खाँसी अगर तीन हफ्तों से ज़्यादा होती है तो गंभीर रूप धारण कर लेती है।

खाँसी होने के क्या कारण होते है?

  • मौसम में परिवर्तन होने पर अक्सर खाँसी हो जाती है।
  • कभी कभी ठण्डी चीजों के ज़्यादा सेवन से भी खाँसी हो जाती है।
  • कफ के जमने पर गले में सूजन और दर्द होने लगता है, कभी-कभी खाँसी का दर्द असहनीय हो जाता है।
  • वातावरण के प्रदूषण के कारण भी खाँसी हो जाती है।
  • शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी से भी खाँसी बार बार होती है।

    खाँसी के प्रकारः खाँसी दो प्रकार की होती है।
    (1) सूखी खाँसी (2) बलगम वाली खाँसी।

सूखी खाँसीः सूखी खाँसी गले और सीने में जलन या सूजन की वजह से होती है। गले में खराश के कारण भी सूखी खाँसी हो जाती है। कभी धूल और गन्दगी के कारण भी खाँसी होती है। एक सूखी खँासी किसी भी बलगम का उत्पादन नही करती है, जो खाँसी का प्रकार होता है, सूखी खाँसी गले में सुरसुराहट पैदा करती है। एक सूखी खाँसी सर्दी और फ्लू के वायरस से संक्रमण का परिणाम है। सिगरेट के धुँए के रूप में वायुमंडलीय प्रदषूण होता है। इन स्थितियों में अधिकांश सूखी खँासी होती है, लेकिन यह सीने से उत्पन्न होता है।

(2) बलगमी खाँसी या गीली खाँसी- एक बलगमी खाँसी श्वसन संक्रमण, एलर्जी और ह्नदय रोग का एक आम लक्षण है। श्वसन तंत्र के ऊपरी या भीतर में बलगम की उपस्थिति खाँसी का कारण बनती है। यह एक या दोनो फेफड़ों में गले और ग्रसनी को प्रभावित करता है। एक बलगमी खाँसी टीवी (क्षयरोग) का कारण होती है। फेफड़ों के कैेंसर में बलगम में खून आता है, अस्थमा भी एक गीली खाँसी का कारण होती है।

सूखी खँासी का कारणः एक सूखी का कारण सर्दी और फ्लू का वायरल संक्रमण है। सूखी खाँसी के कुछ अन्य कारण भी हो सकते है।
दवा के दुश्प्रभाव- कुछ दवाईयों के प्रभाव से भी खाँसी उत्पन्न होती है।
नसों और तनाव- जब आप उत्सुक होते तो श्वास उछल जाती हैं, वो असहज स्थिितयों में स्वयं को मानते है, तब नर्वस होने के कारण खाँसी उनकी समस्या बन जाती है।
लगातार सूखी खाँसी- लगातार 3 सप्ताह से अधिक खाँसी का होना एक चिकित्सा का परिणाम बन जाता है, जैसे- अस्थमा, ह्नदय रोग, फेफड़ो की समस्यायें, फेफड़े का कंैसर, काली खाँसी, और टीबी आदि गंभीर रोगांे को जन्म देती है।
सूखी खाँसी के लिये कुछ घरेलू उपचारः
दमे में खाँसीः दमा यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें फेफड़ों में जाने वाले वायुमार्ग प्रभावित होकर बलगम पैदा करता है, इससे श्वास लेने में बहुत मुश्किल होती है, और दौरें पड़ने लगते हैं, जिसके कारण ज़ुकाम और खँासी हो जाती हैं। इसमें गले में खुजली, खुरचन, और दर्द पैदा हो जाता है। खाँसी रात में और भी गंभीर हो जाती है।
खाँसी को कम करने के घरेलू के उपायः
(1) अदरक की चाय का सेवन करें।
(2) लौंग के प्रयोग से खाँसी कम होती है।
(3) मुलेठी को चूसने से भी खाँसी मे कमी होती है।
(4) काली मिर्च और शहद में मिलाकर दिन में तीन बार चाटें।
(5) तुलसी के पत्ते, अदरक, और शहद मिलाकर एक मिश्रण बनालें, और गंभीर खाँसी के उपचार के लिए बहुत लाभकारी है।
(6) सूखी खाँसी के लिए अदरक के टुकड़ें पर नमक डालकर चूसने से सूखी खाँसी से राहत मिलती है।
(7) पुदीने का रस काली मिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से खाँसी और ज़ुकाम में राहत मिलती है।
हमारा सीरपः हमारा सीरप हर प्रकार की खाँसी के लिए लाभकारी है। हमारा सीरप खाँसी के कारण होने वाली समस्याओ का निदान करता है। हमारा सीरप सर्दी से होने वाली खाँसी से जल्द राहत देता है। यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित है, इसलिए पूरी तरह से सुरक्षित है। यह गले में खराश ज़ुकाम और खाँसी के लिए बहुत प्रभावी है।
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