कान दर्द

कानों का दर्द बहुत ही दर्दनाक होता है। कानों में दर्द सर्दी, ज़ुकाम और तेज़ आवाज़ के कारण, नाक में रूकावट, कानों के मैल और कानों की क्षति के कारण होता है। नवजात शिशुओं में कान का दर्द एक आम कारण हैं। कान में दर्द कान के मध्य भाग में बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है। कान का दर्द यह एक ऐसी समस्या हैं, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। कान का दर्द प्राथमिक और माध्यमिक दो प्रकार का होता है। प्राथमिक कान का दर्द संक्रमण के रूप में होता है। कान का संक्रमण बच्चों में सबसे आम कारण हैं, यह दर्द बच्चों को विशेष रूप से रात को परेशान करता है। कान में सूजन होने के कारण भी कान में दर्द होता है। लेकिन व्यस्कों मंे कान में दर्द का कारण सिर्फ संक्रमण ही नही होता है, अन्य कारण भी हो सकते है। माध्यमिक कान का दर्द शरीर के किसी अन्य स्त्रोत के कारण भी हो सकता है। कान के बाहरी भाग में संक्रमण हो, तो उसे ओटाइटिस एक्सटर्ना कहते हैं, और अगर कान के मध्य भाग में संक्रमण होतो उसे ओटाइटिस मीडिया कहते हैं। कान के पर्दे के गीले हो जाने के कारण भी कान में दर्द होता है। कान का दर्द का कारण कान नहर, या कान के पंख को प्रभावित करने में कान की भीतर की स्थिति भी हो सकती है।

अमेरिका के चिकित्सकों अनुसार अधिकतर तीव्र कान का दर्द मध्य कान में संक्रमण, या मध्य कान की सूजन के कारण होता है। कान का दर्द कान की बाहरी हिस्से की सूजन के कारण भी होता है। कान के संक्रमण के कई कारण होते है, यह ओटिटिस मीडिया कहा जाता है। मध्य कान में संक्रमण यह कान का दर्द अक्सर बच्चों में अधिक तौर पर देखा जाता है। कान के दर्द को जानने के लिए क्या आप को कान के मध्य भाग की रचना को जानना और समझना चाहिये। मध्य कानः मध्य कान सामान्यता श्रवण ट्यब या ट्यूब नामक एक छोटे ट्यूब से गले के पीछे जुड़ा रहता है। सामान्य परिस्थियों में यह ट्यूब खुला रहता है, और गले के पीछे से कान के से पलायन करने के लिए एक तरल पदार्थ जमा करने की अनुमति है। इस ट्यूब में श्लेष्मा और तरल पदार्थ जमा रहता है। कान के दर्द के संक्रमण को अगर समय रहते ठीक ना किया गया तो यह आपके कान के परदे को भी नुकसान पहँचा सकता है, और यह आपको बहरा भी बना सकता है। कान के

दर्द के अन्य कारण

  • कान मे किसी घाव के कारण कान में दर्द होता है।
  • कान में फंगस और फुन्सी और मैल के कारण कान में दर्द होता है।
  • कान के अन्दर कीड़ा या किसी वस्तु के चले जाने से कान में दर्द होता है।
  • कान में समस्या होने पर कुछ लक्षण दिखाई देते है।
  • कान में भारीपन का लगना।
  • कान का लाल होना, या सूजन होना।
  • कान में से किसी तरल पदार्थ का बाहर निकलना।
  • कान से कम या बिल्कुल ना सुनाई देना।

कान में दवाब का अनुभव होना और चक्कर आना। कान के दर्द में ध्यान रखने वाली कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • अपने कान में रूई की सीख को डालने से बचे, यह आपके पर्दो को बंद कर सकता है।
  • आपके कान में अगर कोई छिदª हैं, तो आप अपने कान में कोई भी तरल पदार्थ डालनें से बचें।
  • नहाते समय अपने कान में रूई रखलें, जिससे कान में पानी न जायें।
  • आपके नवजात शिशु के कान में दर्द हो तो तुरन्त चिकित्सक से परामर्श लें।

ओटेलजियाः यह कान का दर्द कान के सूजन की वजह से होता है। सर्दी या दाँत के दर्द की वजह से या कान के भीतरी हिस्से में सूजन के कारण भी होता हैं। पहचानः यह दर्द बहुत तीव्र होता है। इस तीव्र दर्द के कारण सिर में भी दर्द होता है, और आँखों तक असर करता हैं। यह दर्द नाक और गले की बीमारी के कारण होता हैं, कभी कभी जोड़ों में दर्द के कारण भी कान में दर्द होता है, अचानक मौसम के बदलने खसतौर पर सदी्र के कारण कान में दर्द होता हैं। जब कोई वस्तु कान में पड़ जाती हैं, तो इसका असर कान के पर्दे पर होता है, और दर्द शुरू हो जाता है। कभी तो दर्द इतना तेज़ हो ता हे कि इंसान बेचैन हो जाता हैं, कि रात भर नींद भी नही आती है।

ओटोरियाः इसमें कान की झिल्ली में सरसराहट होती है, और कानों में पीप उत्पन्न होकर बाहर निकलती है। कान की झिल्ली में लालिमा छा जाती है, फिर कान में बहुत तीव्र दर्द होता है। पहचानः रोगी को हल्का सा बुखार आ जाता है, कानों में पीप बनना आरम्भ होती है, फिर वो हल्के हल्के बाहर निकलता है। बच्चो के जब दाँत निकलते हैं, उस समय बच्चों के कानों में संक्रमण हो जाता है, या जब बच्चे का गला खराब उस समय भी झिल्ली प्रभावित होती है, और कान की झिल्ली में संक्रमण हो जाता है, और कभी कभी पेट की खराबी के कारण और बच्चे के जल्दी-जल्दी बीमार होने के कारण कान की झिल्ली में संक्रमण हो जाता है, और पीप पड़ जाती है, और कान मे किसी वस्तु के पड़ जाने से कान का परदा ज़ख्मी हो जाता है, और कान बहने लगता है अगर इसका तुरन्त इलाज ना किया गया तो कान के परदे को हानि होगी जो एक गंभीर स्थिति होगी।

ओटिटिस मीडियाः ये मध्य कान का संक्रमण या सूजन हैं, इस रोग मे कान के पर्दा बुरी तरह से प्रभावित होता है। इसमें कान का दर्द प्रकार का होता है। (1) तीव्र ओटिटिस और (2) पुरानी ओटोटिस

(1) तीव्र ओटिटिसः यह रोग शिशुओं और छोटे बच्चों 6 महीने और 3 साल के बच्चों में अधिकतर होता है। इसमें कानों में बहुत तेज़ दर्द होता है, और बच्चा बार-बार कानों में उंगलियाँ डालता है, और रोता है। यह संक्रमण ज़्यादातर मौसम के बदलाव के कारण होता हैंः जैसे ज़ुकाम, इन्फलूएन्ज़ा आदि। संक्रमण के कारण कानों में सरसराहट होती हैं, और कानों में बहुत तेज़ दर्द होता है। अगर कान के भीतरी भाग को देखा जाये, तो सूजन और लालपन दिखाई देगी, फिर बच्चे के कान में बहुत तेज़ दर्द होता है, और सही समय पर चिकित्सा नही की गई तो कानो की श्रवण शक्ति कम हो जाती है।

(2) दीर्घ ओटोटिसः इस संक्रमण से कानो की भीतरी नली में मध्य कान के ऊतक में बहुत परिवर्तन होते है, ये संक्रमण कान के पिछले हिस्से में भी फैल सकता है, जिससे मस्तिष्क पर भी असर पड़ता है, और कान के भीतरी भाग को बहुत हानि पहुँचती हैंे, यहाँ तक कि सुनना भी बंद हो सकता है। यह संक्रमण शरीर में बहुत सी बीमारियों को उत्पन्न करता है, जैसे गले का कैंसर आदि। इससे कान की हड्डी प्रभावित होती है, जिससे बहरापन हो जाता है। कानांे के भीतरी भाग में गन्दगी बार बार में गिरने से कानों में बहुत तेज़ दर्द होता है।