पुरूष स्वास्थ्य की समस्यायें

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पुरूष स्वास्थ्य– आज के समय में पुरूषों में बहुत सी समस्यायें देखने को मिलती है, जिनमें से एक शीघ्र पतन की समस्या बहुत आम हो गयी है, और इसका असर उनके यौन सम्बन्धों की जीवन शैली में देखने को मिलता है, इस स्थ्ति में उसे सेक्स की संतुष्टि नही मिल पाती है। महिलायें ही नही, पुरूष भी शर्म और झिझक के कारण इन आन्तरिक समस्याओं का उपचार नही कराते है, जो समस्या आगे चलकर नपंुसकता का एक कारण बन जाती है। इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अपने आहार में कुछ खाद्य पदाथों का सेवन करना चाहियें, इन समस्याओं का यह अर्थ नही है, कि उनकी सैक्स लाईफ समाप्त हो गयी है। इन समस्याओं के समाधान के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा पर निर्भर रहना सुरक्षित होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 1ण्90 करोड़ नंपुसकता के शिकार होते है। आप अपना अच्छा स्वास्थ्य देखकर यह ना सोचे कि आप नंपुसंकता और बाँझपन का शिकार नही होंगंे।

शीघ्र पतन– इस रोग में व्यक्ति की वीर्य उसकी इच्छा से पहले ही निकल जाता है।

नपंुसकता– इस स्थिति मेें पुरूषों के शरीर में सही मात्रा में वीर्य नही बन पाता है। इस समस्या के विभिन्न कारण हो सकते है। सम्भोग में पर्याप्त आनन्द पाने के लिए जब पुरूष का लिंग खड़ा नही हो पाता है, तो उसे नपुसंकता कहते है।

  • कुछ हार्मोन्स की कमी के कारण जैसे- फोलीक्युलर, स्टूमुलेटिंग
  • आनुवांशिक कारण
  • कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी कारण
  • गलत जीवनशैली, खान-पान में कमी, चिंता और तनाव के कारण
  • धूम्रपान के कारण

प्रोस्टेट पुरूष गन्थि- पुरूषों के जननागों में मौजूद एक ग्रन्थि होती है, जो वीर्य का आगें बढ़ाने का कार्य करता है। इसमें चोट या अघात लगना या प्रोस्टेट कैंसर आदि समस्यायें भी हो सकती है।

बाँझपन– आज के गलत और मिलावटी खान पान की बिगड़ी हुई जीवन शैली के कारण पुरूषों के प्रजनन क्षमता में कमी आ जाती है। आज प्रजनन क्षमता में कमी के कारण बाँझपन अधिकतर पुरूषों में दिखाई देता है। इस समस्या के कारण पुरूषों को औलाद की सम्पत्ति नही मिल पाती है।

  • कारण
  • हार्मोन असंतुलन के कारण शुक्राणुओं की संख्या में कमी।
  • प्रजनन अंगों में सूजन या संक्रमण।
  • कुछ विराधी दवाओं के उपयोग से शुक्राणुओं में कमी
  • मोटापे से पीडि़त पुरूषों की क्षमता लगभग 20 प्रतिशत कम होती है, इससे हार्मोन में असंतुलन आजाता है।
  • उम्र बढ़ने पर शुक्राणुओें की संख्या और गुणवत्ता में कमी के कारण।
  • अधिक तनावग्रस्त रहने पर प्रजनन क्षमता में कमी आ जाती है।
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